पिता को चिंता रहती थी
बेटी के ब्याह की
मां हौसला बनाये रखती थी
सब ठीक हो जाएगा
करनेवाला भगवान है
मां को पिता से ज्यादा
भगवान पर भरोसा था
मां उनके घावों को
आंसुओं से धोती रही
शायद यही पिता का
सबसे बडा दुख था
Thursday, October 29, 2009
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19 comments:
i liked yur short poem.last two lines are very powerful.
i will wait for more from you.
dhanyavaad
rakesh
जिंदगी की एक कठोर सच्चाई की सुंदर अभिव्यक्ति।
-Zakir Ali ‘Rajnish’
{ Secretary-TSALIIM & SBAI }
मां उनके घावों को
आंसुओं से धोती रही
शायद यही पिता का
सबसे बडा दुख था
संवेदनशील रचना. भावुक.
सुंदर कविता !
मार्मिक...
हुज़ूर आपका भी एहतिराम करता चलूं.....
इधर से गुज़रा था, सोचा सलाम करता चलूं
http://www.samwaadghar.blogspot.com/
रचना के उद्गार में सम्वेदन का भाव।
छोटी रचना है मगर अच्छा पड़ा प्रभाव।।
सादर
श्यामल सुमन
www.manoramsuman.blogspot.com
आभा जी आपका प्रयास सराहनीय है, बहुत अच्छा। बिरले ही इस कदम पर चलते हैं।
सुनील पाण्डेय
इलाहाबाद।
09953090154
आपकी कई रचनाएं पढी सभा दर्द से भरी हैं ।
आप अच्छा लिख रही हैं और अच्छा लिख सकती हैं ।
मेरी शुभकामनाएं आपके साथे है।
स्वागत है.
सही लिखा है।
घुघूती बासूती
अच्छी रचना
bahut acha likha hai aapne likhne se acha hai aap jo work kar rahi hai
bas yahi fark hota hai ek maa main or pita main..aapne dono ko jewan ke sath khoob piroya hai.....
aapke baare pada ...bahut impress hua....main bhi aapki sastha se jud sakta hu kya....
Jai HO Mangalmay ho
चिटठा जगत में आपका हार्दिक स्वागत है.
बहुत सुन्दर और मर्म स्पर्शी रचना.
लेखन के द्वारा बहुत कुछ सार्थक करें, मेरी शुभकामनाएं.
---
हिंदी ब्लोग्स में पहली बार Friends With Benefits - रिश्तों की एक नई तान (FWB) [बहस] [उल्टा तीर]
बहुत अच्छा लेख है, स्वागतम्।
http://myrajasthan.blogspot.com
narayan narayan
हिंदी ब्लॉग लेखन के लिए स्वागत और शुभकामनायें
कृपया अन्य ब्लॉगों को भी पढें तथा अपने सुन्दर
विचारों से उत्साहवर्धन करें
wah.....
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