मेरा जन्म 1972 में जमशेदपुर में हुआ। मैट्रिक के बाद मेरा विवाह हो गया। विवाह के बाद मेरे जीवन में एक रौशनी की तरह कुमार मुकुल का प्रवेश हुआ। जिन्होंने हमें आगे बढने को प्रेरित किया और नया हौसला दिया। उन्होंने धर्म,जाति,उूंच-नीच आदि भेद-भावों से दूर रहने की बातों, जो मुझे भी रास आती थीं, पर बल दिया। जब कि ये बातें हमदोनों के परिवार में नहीं थीं। मेरा यह ब्लाग उन्होंने ही बनाया और मेरी कहानी को और अच्छी तरह आपके सामने प्रस्तुत करने में मदद की। मैं बोलती जाती हूं और वे लिखते जाते हैं। उन्होंने मुझे घर की पारंपरिक जकड़बंदी से बाहर किया। विवाह के समय मुझे सबसे कमजोर माना जाता था पर आज मुझे सबसे ज्यादा मान मिलता है, अपने चारों भाई-बहनों में। उनके साथ रहकर पढने लिखने में मेरी रूचि बढती गयी हालांकि उनके मन मुताबिक मैं पढ नहीं पाती हूं, घर व कैंसर प्रभावित बच्चों की देखरेख आदि में मेरा सारा समय चला जाता है। बड़े बेटे सोनू के ब्लड कैंसर से पीडित होने की घटना ने मेरे जीवन की धारा बदल दी। मैं कैंसर पीडि़त बच्चों के लिए काम करती हूं। इसी दौरान मैं पूनम बगई की कैंसरग्रस्त बच्चों के लिए काम करने वाली संस्था कैंनकिड्स से जुडी। कैंनकिड्स की प्रेसिडेंट पूनम बगई के साथ रहकर मैं जीवन के बहुत से अनजान पहलुओं से अवगत हुयी। आगे मेरा इरादा इस तरह के परेशानहाल बच्चों के लिए काम करने का है।
3 comments:
बेहद खूबसूरत । आभार ।
बहुत उम्दा!!
यह अत्यंत हर्ष का विषय है कि आप हिंदी में सार्थक लेखन कर रहे हैं।
हिन्दी के प्रसार एवं प्रचार में आपका योगदान सराहनीय है.
मेरी शुभकामनाएँ आपके साथ हैं.
नववर्ष में संकल्प लें कि आप नए लोगों को जोड़ेंगे एवं पुरानों को प्रोत्साहित करेंगे - यही हिंदी की सच्ची सेवा है।
निवेदन है कि नए लोगों को जोड़ें एवं पुरानों को प्रोत्साहित करें - यही हिंदी की सच्ची सेवा है।
वर्ष २०१० मे हर माह एक नया हिंदी चिट्ठा किसी नए व्यक्ति से भी शुरू करवाएँ और हिंदी चिट्ठों की संख्या बढ़ाने और विविधता प्रदान करने में योगदान करें।
आपका साधुवाद!!
नववर्ष की बहुत बधाई एवं अनेक शुभकामनाएँ!
समीर लाल
उड़न तश्तरी
बहुत दर्द है इस रचना में
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