Monday, March 23, 2009

मेरी आंखों का नूर - आभा

लोग कहते हैं
कि बेटे को जिंदगी दे दी मैंने
पर उसके कई संगी नहीं रहे
जिनकी बड़ी बड़ी आंखें
आज भी घूरती कहती हैं
-
आंटी , मैं भी कहानी लिखूंगी
अपनी
उसकी आवाज आज भी
गूंजती है कानों में

बच्‍ची
कैसी आवाज लगाई तूने
जो आज भी गूंज रही है फिजां में
ओह
व्‍हील चेयर पर
दर्द से तड़पती आंखें वे

वह दर्द
आज मेरी आंखों का नूर बन
चमक रहा है

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