Monday, March 23, 2009

मेरी अपनी तो कोई कहानी नहीं - कुमार मुकुल

आभा तो
पागल है ना मिनी

दर्जनों कैंसरग्रस्‍त बच्‍चों की कब्रें
अपने भीतर सहेजे
कोई
कैसे सामान्‍य रह सकता है मेरी बच्‍ची


उसके सोते ही
जग जाते हैं सारे बच्‍चे
और
मग्‍न हो जाती है वह
उनके साथ

एक बच्‍ची मरते-मरते बोलती है-
मेरी कहानी लिखिएगा ना आभा आंटी
- हां हां
मेरी मुनिया
और क्‍या
मेरी अपनी तो कोई कहानी नहीं

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